Monday, April 18, 2011

कुंवर प्रीतम का नया मुक्तक


नहीं कोई तमन्ना अब, बची तुमसे मोहब्बत की

नहीं ख्वाहिश रही कोयी, गैरों की इनायत की
कहा मुफलिस मुझे तुने, यही इनाम है काफी
प्रिये हाँ, देख ली ताक़त अमीरों की शराफत की

कुंवर प्रीतम
१८.४.११ 

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