Saturday, April 21, 2012


आओ प्यारे एक सिखाएँ तुमको असली मंतर
प्यार कभी मत करना वरना खुशियां सब छु-मंतर
प्रेम का अक्षर ढाई भैया तौबा इस से रखना
प्रेमरोग से राम बचाए, इसका जाल भयंकर
-कुँवर प्रीतम
21-4-2012
https://www.facebook.com/kunwarpreetam

कुंवर प्रीतम के नए मुक्तक
21 अप्रैल 2012

हां मैने भी मौन ले लिया,जब तुमको बात नहीं करनी
आंच प्रेम पर जो लाती हो, वो सौगात नहीं करनी
अपना प्रेम इबादत जैसा, प्रिए इसे ठुकराना मत
कल बोलोगे खुद तुमसे ही, तुमको बात नहीं करनी
-कुंवर प्रीतम


माना राहें एक नहीं, पर मंजिल अपनी एक थी
भेद भरा था भावों में,पर भाषा दिल की एक थी
प्रिये, राहमें चलने वालों का भी धर्म हुआ करता
मुकर गए पल भर में,जिनकी बातें कितनी नेक थी
-कुंवर प्रीतम https://www.facebook.com/pchandalia

Thursday, April 5, 2012


अपनाया जिस पल से उसको, सब कुछ उस पर वार दिया था
जो कुछ अपनी झोली में था, सब उस पर निसार किया था
हाय, मुकद्दर फिर भी उसने,कभी नहीं कहा अपना
जिसके वादे पर प्रीतम ने, दिल अपना बीमार किया था
-कुंवर प्रीतम


तरीका है मोहब्बत का अगर ये तो क्षमा करना
जो टूटे दिल हमारी बात से,उस पर क्षमा करना
हम अहले-दिल हैं, जज्बों की तिजारत हम नहीं करते
कुंवर इस खेल में हमसे हुआ घाटा, क्षमा करना
-कुंवर प्रीतम


फेसबुक
कभी अपना लगे इक पल, तो अगले पल पराया भी
किसी ने कुछ यहां पाया, तो अगले पल गंवाया भी
अजब संसार है फेसबुक, खुदा इसका अलग होगा
हंसाया जो कभी इक पल, तो अगले पल रूलाया भी
-कुंवर प्रीतम


यार मेरा ये कैसी सौगात दे गया
नींद पल भर न आए,वो रात दे गया
चैन से खुद सो रहा पराए ख्वाब में
हमको तन्हा रहने की खैरात दे गया
-कुंवर प्रीतम