Sunday, September 2, 2012


लो आ गयी है फिर से रूत प्रेम की सुहानी
इस रूत में तुम मिलो तो बने इक नयी कहानी
बादल बरस रहे और मौसम है महका-महका
शायद ये मांगता है कोई प्रेम की निशानी

-कुंवर प्रीतम
2-9-12

Saturday, September 1, 2012


ये जिन्दगी के मेले, कितने यहां झमेले
वो भाग्यवान है जो इसका मजा सके ले
प्रेम-पथ पे अक्सर चोटें मिली सभी को
कभी वो रहे अकेले, कभी ये रहे अकेले
-कुंवर प्रीतम
1-9-12