skip to main
|
skip to sidebar
Friday, October 5, 2012
हर दस्तक पर कान टिकाए आखिर कब तक रहते हम
पूछ रहे थे लोग व्यथा, पर आखिर किससे कहते हम
इन्तजार की हदें तोड़कर जख्मी, पागल तक कहलाए
दुनिया भर के ताने-वाने आखिर कब तक सहते हम
-कुंवर प्रीतम
6-10-2012
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
हिन्दी में लिखिए
विजेट आपके ब्लॉग पर
My Blog List
ई-हिन्दी साहित्य सभा
प्रमोद सराफ हमारे बीच नहीं रहें।
1 month ago
साहित्य शिल्पी
सावनी और अन्य कवितायें - निहाल सिंह
2 years ago
भड़ास
The worldwide economic crisis and Brexit
8 years ago
bigboss
12 years ago
visfot.com । विस्फोट.कॉम
आज का ब्लॉग विचार
विजेट आपके ब्लॉग पर
ब्लॉग भविष्यफल
विजेट आपके ब्लॉग पर
सलाम नमस्ते
Divorce
Followers
Blog Archive
▼
2012
(13)
▼
October
(4)
आइए कुछ गुफ्तगू अब मुल्क पर करते चले अपनी ताकत स...
कितनी आसानी से सबको टोपी पहना देता है जालिम दिल्...
प्यार-मोहब्बत दुनिया वालो, बेमतलब बेमानी है तू द...
हर दस्तक पर कान टिकाए आखिर कब तक रहते हम पूछ रहे...
►
September
(2)
►
August
(4)
►
April
(3)
►
2011
(11)
►
November
(1)
►
October
(1)
►
August
(1)
►
July
(1)
►
April
(7)
►
2010
(2)
►
July
(1)
►
March
(1)
►
2009
(4)
►
December
(1)
►
January
(3)
►
2008
(28)
►
December
(7)
►
November
(21)
Contributors
APNA MANCH
KUNWAR PREETAM
PRAKASH PREITAM
No comments:
Post a Comment