Friday, August 31, 2012

कभी बांसुरी बजाकर, कभी गीत गुनगुनाकर
पुष्कर हो जैसे प्यारा, जिसमें कभी नहाकर
जादू सा कर रहे तुम, मेरे प्रेम के दिवाकर
कहां जाके छुप गए हो, मझधार में डूबा कर

-कुंवर प्रीतम
31-8-2012

1 comment:

Rajendra Singh said...

मेरे ब्लोगों पर आपका हार्दिक स्वागत है


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