Monday, December 1, 2008

विश्वजीत शर्मा विश्व की कवितायें


नेता के नाम संदेश

रोज रोज डर डर के मरना
रोज रोज मर मर के जीना
बहुत हो चुका लोकाडम्बर
अब लड़ जाओ तान के सीना
जीओ जब तकशान से जियो
मर-मर कर भी क्या है जीना?
निज गौरव का जहर भला है
बिन गौरव क्या अमृत पीना?
हे हिन्द देश के कर्णधारो,
जो कहते हो, करके दिखलाओ
पद-कुरसी हथियाने वालो
अब तो करकरे बन दिखलाओ
बन्द करो घडिय़ाली आंसू
मत राजनीति को बदनाम करो
पुन: चाहते गर विश्व से इज्जत
हो संगठित, सार्थककाम करो.

लोकतंत्र की अर्थी


अर्थी नहीं गजेंद्र -संदीप की
यह लोकतंत्र की अर्थी है
कोटि-कोटि भारतवासी की
यह मर्यादा की अर्थी है
अर्थी नहीं सिर्फ जवानों की
यह, हिन्द-पुत्रों की अर्थी है
हम भारतवासी की विश्व
यह आशाओं की अर्थी है ।

कवि कोलकाता में निवास करते हैं।


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