आतंकी को नही मिलेगी जमीं दफ़न होने को
अपना तो ये हाल कि बंधू अश्क नही रोने को
आंसू सारे बह निकले है, नयन गए हैं सूख
२६ से बेचैन पडा हूँ, लगी नही है भूख
लगी नही है भूख, तन्हा टीवी देख रहे हैं
उन ने फेंके बम-बारूद, ये अपनी सेंक रहे हैं
सुनो कुंवर की बात खरी, ये मंत्री लगते छक्कों से
जाने वाले नही भाइयों, करो खिदमत धक्कों से
कुंवर प्रीतम
अमृत महोत्सव से अमृतकाल तक की यात्रा
9 months ago
No comments:
Post a Comment