मैंने पूछा सौंप से दोस्त बनेंगे आप,
नहीं महाशय ज़हर में आप हमारे बाप।
कुत्ता रोया फूटकर यह कैसा जंजाल,
सेवा नमकहराम की करता नमकहलाल।
जीव मारना पाप है कहते हैं सब लोग,
मच्छर का फिर क्या करें जो फैलाए रोग।
दुखी गधे ने एक दिन छोड़ दिया सब काम।
गलती करता आदमी लेता मेरा नाम।
साभार-श्यामल सुमन
प्रस्तुति-मकबूल
6 comments:
सच कहा है
बहुत ... बहुत .. बहुत अच्छा लिखा है
हिन्दी चिठ्ठा विश्व में स्वागत है
टेम्पलेट अच्छा चुना है. थोडा टूल्स लगाकर सजा ले .
कृपया मेरा भी ब्लाग देखे और टिप्पणी दे
http://www.manojsoni.co.nr
swaagat hai aapaka
बहुत खूब!
बधाई स्वीकार करें
आपका चिट्ठा जगत में स्वागत है निरंतरता की चाहत है
मेरे ब्लॉग पर पधारें आपका स्वागत है
बहुत बढिया कविता है ।
kavita to bahut achi ban gye saheb. congrats
Post a Comment