Sunday, November 9, 2008

रोज मरने का इंतज़ार


उसे पहले अपने खून से सींचा,
फिर उसे अपने दूध से पाला,
आँसुओं को आंचल से
ponchh उसे आंचल में छुपाया,
जब 'वह' खड़ा हुआ
तो एक नई नारी ने उसके जीवन me प्रवेश कर
पुरानी नारी कोवृद्धाश्रम की याद दिला दी।
कारण स्पष्ट था,
न तो उसे फ़िर से जन्म लेना था,
न ही उसे- उस औरत के आंचल में
फिर से छुपना ही था,
न ही उसे- उसके किसी कष्ट काहोता था
आभास,बस करता था-रोज मरने का इंतज़ार,
बस करता था-रोज मरने का इंतज़ार।
शम्भू चौधरी
कोलकाता
ehindisahitya.blogspot.com

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